दुनिया के लिए पहले भी मुसीबत बन चुके हैं ये 10 वायरस, एक तो कोरोना का पूर्वज ही है

कोरोना वायरस या कोविड-19 वायरस की वजह से पूरी दुनिया परेशान है। 200 से अधिक देश कोरोना वायरस के किसी युद्ध की तरह लड़ रहे हैं। कोरोना वायरस के कारण इस वक्त दुनिया में 1,519,442 लोग संक्रमित हैं और 88,543 लोगों की मौत हो चुकी है, हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब पूरी दुनिया में महामारी फैली हो। इससे पहले भी कोरोना जैसे कई वायरस दुनिया में तबाही मचा चुके हैं। साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के मुताबिक पृथ्वी पर करीब छह लाख वायरस हैं जो इंसान के लिए खतरनाक हैं। आइए जानते हैं कोरोना जैसे कुछ वायरस के बारे में…

इंफ्लूएंजा :

भारत में हर साल इंफ्लूएंजा के करीब 1 करोड़ मामले सामने आते हैं। यह भी महामारी की श्रेणी में ही आता है और इसके लक्षण भी कोरोना वायरस जैसे ही हैं। 1580 के करीब यह रूस, यूरोप और अफ्रीका में फैला था। रोम में इसके कारण 8,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इस वायरस ने 1918 में भी भारी तबाही मचाई थी।


रैबीज :

रैबीज के बारे में आपको पता ही होगा। रैबीज पालतू कुत्तों के काटने से फैलता है। इस वायरस का पता पहली बार 1920 में चलाथा। यदि कुत्ते के काटने पर इलाज ना हो तो इंसान की जान भी जा सकती है। रैबीज के मामले भारत और अफ्रीका में अधिकतर देखे जाते हैं।


डेंगू :

डेंगू मच्छरों के काटने से फैलता है और दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरों में हर साल इसके कई मामले सामने आते हैं, हालांकि इससे मरने वालों की प्रतिशत 20 ही है। डेंगू के बारे में पहली जानकारी 1950 में फिलीपींस और थाईलैंड में मिली थी।


मारबर्ग वायरस:

यह वायरस 1967 में जर्मनी के एक लैब से लीक हो गया था। यह वायरस बंदरों से इंसान के शरीर में पहुंचा था। इस वायरस से संक्रमित होने वाले शख्स को तेज बुखार होता था और शरीर से खून निकलता था। मारबर्ग एक जानलेवा वायरस था।


इबोला वायरस :

इबोला का पता पहली बार 1976 में कांगो और सूडान में चला था। इस वायरस के कारण भी कई लोगों की मौत हुई थी। 1976 के बाद इस वायरस ने 2014 में अफ्रीका में तबाही मचाई थी।


स्मॉलपॉक्स :

स्मॉलपॉक्स को चेचक भी कहा जाता है। स्मॉलपॉक्स को खत्म करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1980 में मुहिम चलाई थी जिसके बाद लोगों को टीके लगाए गए। आपको जानकर हैरानी होगी कि 20वीं सदी में इस रोग से 30 करोड़ लोगों की जान चली गई थी।


हंता वायरस :

हंता वायरस का आपने हाल ही में नाम सुना होगा, जब कोरोनो के तुरंत बाद चीन में हंता वायरस से एक शख्स की मौत हो गई, लेकिन आपको बता दे कि इस वायरस के बारे में पहली बार 1993 में पता चला था। यह वायरस चूहों से फैला था और इसके कारण चंद दिनों में 600 लोगों की मौत हो गई थी।


मर्स :

मर्स वायरस के बारे में 2012 में पता चला था। सबसे पहले यह सऊदी अरब में फैला था। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में निमोनिया और कोरोना वायरस के लक्षण मिले थे। इस वायरस से संक्रमित होने पर बचने की संभावना 50 फीसदी ही होती है। कहा जाता है कि मर्स भी कोरोना परिवार का ही वायरस है।


सार्स :

सार्स को कोरोना वायरस के पूर्वज का दर्जा मिला है। यह वायरस भी कोरोना की तरह चीन से ही फैला। सार्स चीन के गुआंगडांग प्रांत से आया था। यह वायरस भी चमगादड़ों से ही इंसानों में पहुंचा था। इस वायरस ने दो साल में आठ हजार लोगों की जान ली थी। सार्स दुनिया के 26 देशों में फैला था।


एचआईवी :

इसका पूरा नाम ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस है। एचआईवी से पीड़ित होने पर बचने की संभावना बहुत ही कम होती है, क्योंकि इससे संक्रमित 96 फीसदी लोगों की मौत हो चुकी है। यह पहली बार 1980 में सामने आया था और अब तक यह 3.20 करोड़ लोगों की जान ले चुका है।

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