क्या है अंतर नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर में?
आइये जानते हैं।
नागरिकता संशोधन कानून या सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA)
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर या नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC)
नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी है क्या?
CAA और NRC में क्या है अंतर?
सरकार की तरफ से जो विधेयक पेश किया गया था उसमें दो अहम चीज़ें थीं – पहला, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देना और दूसरा, अवैध विदेशियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजना.
गृह मंत्री अमित शाह ने 20 नवंबर 2019 को सदन को बताया था कि उनकी सरकार दो अलग-अलग नागरिकता संबंधित पहलुओं को लागू करने जा रही है, एक सीएए और दूसरा पूरे देश में नागरिकों की गिनती जिसे राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर या एनआरसी के नाम से जाना जाता है.
अमित शाह ने कहा था कि CAA में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है.
उन्होंने बताया था कि एनआरसी के जरिए 19 जुलाई 1948 के बाद भारत में प्रवेश करने वाले अवैध निवासियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.
मूल रूप से एनआरसी को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से असम के लिए लागू किया गया था. इसके तहत अगस्त के महीने में यहां के नागरिकों का एक रजिस्टर जारी किया गया. प्रकाशित रजिस्टर में क़रीब 19 लाख लोगों को बाहर रखा गया था. जिन्हें इस सूची से बाहर रखा गया उन्हें वैध प्रमाण पत्र के साथ अपनी नागरिकता साबित करनी थी.
हालांकि, अमित शाह ने कहा था कि नई राष्ट्रव्यापी एनआरसी प्रक्रिया में असम फिर से शामिल होगा.