विश्व पुस्तक दिवस इस नाम से भी जाना जाता है:
- विश्व पुस्तक और प्रकाशनाधिकार दिवस
- विश्व पुस्तक दिवस
- किताबों का अंतरराष्ट्रीय दिवस
विश्व पुस्तक दिवस 2020 (World Book and Copyright Day)
विश्व पुस्तक दिवस 2020 पूरी दुनिया भर में 23 अप्रैल, गुरूवार को मनाया जायेगा।
ज्ञातव्य है कि 23 अप्रैल 1564 को शेक्सपीयर का निधन हुआ था। शेक्सपीयर एक ऐसे लेखक थे जिनकी कृतियों का अनुवाद विश्व की समस्त भाषाओं में हुआ है। उन्होंने अपने जीवनकाल में करीब 35 नाटक और 200 से अधिक कविताएं लिखीं। साहित्य जगत में शेक्सपीयर को जो स्थान प्राप्त है उसी को देखते हुए यूनेस्को ने 1995 और भारत सरकार ने 2001 में 23 अप्रैल के दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है।
विश्व पुस्तक दिवस क्या है
23 अप्रैल को पूरे विश्व के लोगों के द्वारा हर वर्ष मनाया जाने वाला विश्व पुस्तक दिवस एक वार्षिक कार्यक्रम है। पढ़ना, प्रकाशन और प्रकाशनाधिकार को पूरी दुनिया में लोगों के बीच बढ़ावा देने के लिये यूनेस्को द्वारा सालाना आयोजित ये बहुत ही महत्वपूर्णं कार्यक्रम है। 23 अप्रैल को इसे मनाने के बजाय, यूनाईटेड किंग्डम में मार्च के पहले गुरुवार को इसे मनाया जाता है। 23 अप्रैल 1995 में पहली बार यूनेस्को द्वारा विश्व पुस्तक दिवस की शुरुआत की गयी।
आमतौर पर, इसे लेखक, चित्रकार के द्वारा आम लोगों के बीच में पढ़ने को प्रोत्साहन देने के लिये मनाया जाता है। किताबों को और पढ़ने के लिये ये विश्व स्तर का उत्सव है और 100 से ज्यादा देशों में मनाया जाता है।
विश्व पुस्तक दिवस का इतिहास
पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वार्षिक आधार पर विश्व पुस्तक दिवस को मनाने के पीछे बहुत सी कहानियाँ हैं। मीगुएल डी सरवेंटस नाम से सबसे प्रसिद्ध लेखक को श्रद्धांजलि देने के लिये स्पेन के विभिन्न किताब बेचने वालों के द्वारा वर्ष 1923 में पहली बार 23 अप्रैल की तारीख अर्थात् विश्व पुस्तक दिवस और किताबों के बीच संबंध स्थापित हुआ था। ये दिन मीगुएल डी सरवेंटस की पुण्यतिथि है।
विश्व पुस्तक दिवस और प्रकाशनाधिकार दिवस को मनाने के लिये यूनेस्को द्वारा 1995 में पहली बार विश्व पुस्तक दिवस की सटीक तारीख की स्थापना हुयी थी। यूनेस्को के द्वारा इसे 23 अप्रैल को मनाने का फैसला किया गया था क्योंकि, ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, विलियम शेक्सपियर, व्लादिमीर नबोकोव, मैमुएल सेजिया वैलेजो का जन्म और मृत्यु वर्षगाँठ, मीगुअल डी सरवेंटस (22 अप्रैल को मृत्यु और 23 अप्रैल को दफनाए गये), जोसेफ प्ला, इंका गारसीलासो डी ला वेगा का मृत्यु वर्षगाँठ और मैनुअल वैलेजो, मॉरिस द्रुओन और हॉलडोर लैक्सनेस का जन्म वर्षगाँठ होता है।
विश्व पुस्तक कैसे मनाया जाता है
बाजार या प्रसिद्ध किताब की दुकानों से कुछ मजाकिया और रोचक किताबों को खरीदने और पढ़ने के द्वारा विश्व पुस्तक दिवस को मनाने में कोई भी शामिल हो सकता है जहाँ सभी पसंसदीदा किताब ब्रैंड, चरित्र या लेखक पर आधारित होती है। लेखकों और दूसरी महत्वपूर्णं बातों के बारे में जानने के लिये उनमें जिज्ञासा उत्पन्न करने के साथ ही पढ़ने की आदत के लिये बच्चों को पास लाने में विश्व पुस्तक दिवस एक बड़ी भूमिका अदा करता है।
बच्चों के बीच पढ़ने की आदत को आसानी से बढ़ावा देना, कॉपीराइट का प्रयोग कर बौद्धिक संपत्ति का प्रकाशन और सुरक्षित रखने के लिये यूनेस्को द्वारा पूरे विश्व भर में इसे मनाने की शुरुआत हुयी। विश्व साहित्य के लिये 23 अप्रैल एक महत्वपूर्ण तारीख है क्योंकि 23 अप्रैल 1616 कई महान हस्तियों की मृत्यु वर्षगाँठ थी।
किताबों और लेखकों को श्रद्धांजलि देने के लिये पूरे विश्व भर के लोगों का ध्यान खींचने के लिये यूनेस्को द्वारा इस तारीख की घोषणा की गयी। लोगों और देश की सामाजिक और सांस्कृतिक विकास की ओर अपने विशेष योगदानों के लिये नये विचारों को उत्पन्न करने के साथ ही किताबों के बीच असली खुशी और ज्ञान की खोज करने तथा किताबें पढ़ने के लिये ये आम लोगों खासतौर से युवाओं को प्रोत्साहित करता है। ग्राहक को हर एक किताब पर एक गुलाब देने से वो किताबें पढ़ने के लिये प्रोत्साहित होंगे और सम्मानित महसूस करेंगे।
शिक्षकों, लेखकों, प्रकाशकों, लाइब्रेरियन, सभी निजी और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों, एनजीओ, कार्यरत लोगों का समूह, मास मीडिया आदि के द्वारा खासतौर से विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस मनाया जाता है। यूनेस्को राष्ट्रीय परिषद, यूनेस्को क्लब, केन्द्रीय संस्थान, लाइब्रेरी, स्कूल और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों के द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
प्रसिद्ध लेखकों के द्वारा लिखी गयी नवीनतम किताबों के संग्रह को प्राप्त करने के लिये लाइब्रेरी की सदस्यता के लिये कार्यरत समूह के लोग प्रोत्साहन देते हैं। विभिन्न क्रिया-कलाप जैसे दृश्यात्मक कला, नाटक, कार्यशाला कार्यक्रम आदि लोगों को प्रोत्साहित करने के लिये अधिक सहायक हो सकता है।
विश्व पुस्तक का महत्व
आम सभा में यूनेस्को के द्वारा विश्व पुस्तक दिवस उत्सव की तारीख को निश्चित किया गया जो 1995 में पेरिस में रखा गया था। लगभग 100 देशों से अधिक इच्छुक लोग ऐच्छिक संगठनों, विश्वविद्यालयों स्कूलों, सरकारी या पेशेवर समूहों, निजी व्यापार आदि से जुड़ें। विश्व पुस्तक और कॉपीरइट दिवस उत्सव विश्व भर के सभी महाद्वीपों और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से लोगों को आकर्षित करता है। ये लोगों को नये विचार को खोजने और अपने ज्ञान को फैलाने में सक्षम बनाता है। किताबें विरासत का ख़जाना, संस्कृति, ज्ञान की खिड़की, संवाद के लिये यंत्र, संपन्नता का स्रोत आदि हैं।
विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस उत्सव ने विभिन्न देशों से ढ़ेर सारे पेशेवर संगठनों को प्रेरित किया है और यूनेस्कों से सहायिकी प्राप्त की है। दूसरे लोगों तक विभिन्न प्रकार की संस्कृति को फैलाने के साथ ही उनको साथ लाने के लिये लोगों के बीच किताबों की शक्ति को प्रचारित करने के लिये हर साल यूनेस्कों का विश्वव्यापी सदस्य राज्य इस कार्यक्रम को मनाता है। सुविधा से वंचित भाग में रहने वाले लोगों के साथ ही युवा लोगों के बीच शिक्षा को प्रचारित करने के लिये ये दिन मनाया जाता है।
इस दिन, उपन्यास, लघु कहानियाँ या शांति फैलाने वाला चित्र किताब, उदारता, दूसरी संस्कृति और परंपरा के लिये एक-दूसरे के बीच समझदारी और सम्मान के लिये बच्चों सहित कुछ युवा अपने बेहतरीन कार्यों के लिये पुरस्कृत किये जाते हैं। वर्ष के खास विषय पर आधारित एक अलग पोस्टर हर साल डिजाइन किया जाता है और पूरी दुनिया में लोगों के बीच वितरित किया जाता है। पोस्टर इस तरह से डिजाइन किये जाते हैं जिससे लोगों और बच्चों को और किताबें पढ़ने के लिये बढ़ावा दिया जा सके।
विश्व पुस्तक दिवस थीम
- वर्ष 2019 में विश्व पुस्तक दिवस का थीम है “एक कहानी साझा कीजिये (शेयर ए स्टोरी)”।
- वर्ष 2018 में विश्व पुस्तक दिवस के लिए थीम था “पढ़ना, यह मेरा अधिकार है”।
- विश्व पुस्तक दिवस 2015 का थीम था “दुनिया को पढ़ों।”
- विश्व पुस्तक दिवस 2014 का थीम था “तेज बनो-किताबें पढ़ों।”
- विश्व पुस्तक दिवस 2013 का थीम था “पढ़ना; प्रकाशन और कॉपीराइट के द्वारा बौद्धिक संपदा की सुरक्षा।”
- विश्व पुस्तक दिवस 2012 का थीम था “किताबें और अनुवाद।”
- विश्व पुस्तक दिवस 2011 का थीम था “किताब निर्माण का विकास, लिखने से डिजिटल तक।”
- विश्व पुस्तक दिवस 2010 का थीम था “संस्कृति के मेल-जोल के लिये अंतरराष्ट्रीय वर्ष।”
- विश्व पुस्तक दिवस 2009 का थीम था “गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का विकास और प्रकाशन और मानवाधिकार के बीच जुड़ाव।”
- विश्व पुस्तक दिवस 2008 का थीम था “भाषा का अंतरराष्ट्रीय वर्ष।”
- विश्व पुस्तक दिवस 2007 का थीम था “पढ़ाई उपाय है।”
- विश्व पुस्तक दिवस 2006 का थीम था “साक्षरता जीवन बदल देती है।”
- विश्व पुस्तक दिवस 2005 का थीम था “पढ़ाई हमेशा के लिये है।”
- विश्व पुस्तक दिवस 2004 का थीम था “पढ़ना; एक अनवरत यात्रा।”
- विश्व पुस्तक दिवस 2003 का थीम था “जीवन के लिये दोस्त।”
- विश्व पुस्तक दिवस 2001 का थीम था “खुशी के घंटे।”
- विश्व पुस्तक दिवस 1999 का थीम था “एक किताब दो।”
- विश्व पुस्तक दिवस 1998 का थीम था “पढ़ना ठंडी हवा है।”
विश्व पुस्तक दिवस पर कथन
- “बुद्धि के किताब में पहला अध्याय ईमानदारी है।”- थॉमस जेफरसन
- “जो बातें मैं जानना चाहता हूँ वो किताबों में हैं; मेरा परम मित्र वो आदमी होगा जो मुझे वो किताब देगा जो मैंने नहीं पढ़ा होगा।”- अब्राहम लिंकन
- “आप बहुत पर्याप्त चाय की एक प्याली नहीं ला सकते या मेरे ऊपर फबने वाली एक लंबी किताब।”- सी.एस.लेविस
- “एक कुत्ते से अलग, एक किताब एक व्यक्ति की सबसे घनिष्ठ मित्र होती है। एक कुत्ते के अंदर पढ़ने के लिये ये बहुत ही अँधेरा है।“- ग्रोउचो मार्क्स
- “कोई भी किताब जो एक बच्चे को पढ़ने की आदत, अपनी गहरे और लगातार जरुरत में से एक पढ़ने को बनाने के लिये, उसके लिये अच्छा है।”- माया एंजेलोउ
- “आदर्शत: एक किताब के पास कोई क्रम नहीं होता, और पढ़ने वाले को खुद इसे खोजना होगा।”- मार्क त्वैन
- “शिक्षा के लिये कोई अंत नहीं है। ये ऐसा नहीं है कि आप एक किताब पड़ रहें हैं, परीक्षा पास होने के लिये, और शिक्षा के खत्म हो जायेगा। पूरे जीवन भर, उस पल से जब आप पैदा हुए और वो क्षण जब आप मरेंगे, सीखने की एक प्रक्रिया है।”- जिद्दू कृष्णमूर्ति
- “अगर किसी को एक किताब बार-बार पढ़ना खुशी नहीं दे सकता तो, उसको पूरा पढ़ने का कोई उपयोग नहीं है।”- ऑस्कर विल्डे
- “नैतिक और अनैतिक किताब के रुप में कोई चीज नहीं है। किताबें या तो अच्छे से लिखी होती है या बुरे से।”- ऑस्कर विल्डे
- “मैं ये बताने में अपमानित महसूस कर रहा हूँ कि, अमेरिका, एक किताब की बिक्री पूछताछ का विषय बन सकता है, और आपराधिक पूछताछ का भी।”- थॉमस जेफरसन
- “एक किताब दुनिया है, वो यात्रा नहीं करता जो केवल एक पन्ना पढ़ता है।”- सेंट ऑगस्टाईन
- “बिना कुछ सीखे आप एक किताब नहीं खोल सकते।”- कन्फ्यूशियस
- “किताबें पूँजी का निर्माण करती है। एक लाइब्रेरी की किताब एक घर के जितना टिकाऊ होता है, सैकड़ों वर्षों के लिये। ये अब केवल उपयोग का एक सामान नहीं है बल्कि पूँजी की पर्याप्ता है, और पेशेवर इंसान की दशा में, जीवन में प्रयाण, ये उसकी केवल पूँजी है।”-थॉमस जेफरसन
- “ये मेरी महत्वकाँक्षा है कि मैं 10 वाक्यों में कहूँ जो लोग पूरी किताब में कहते हैं।”- फ्रेडरिक नियेत्ज़े
- “मैं किताब लिख रहा हूँ। मैंने पृष्ठ संख्या पूरी कर ली है।”- स्टीवेन राइट
- “हर जली हुयी किताब दुनिया को रोशन करती है।”- राल्फ वाल्डो एमर्सन
- “किताब विक्रेता का सम्मान होना चाहिये क्योंकि हमारे ध्यान के लिये वो लाता है, एक नियम के रुप में, सच्चे किताब की हमें सबसे ज्यादा जरुरत होती है और सबसे ज्यादा उपेक्षा की जाती है।”- कन्फ्यूशियस
- “वो जिसने खुद को बनाया है बुद्धिमान है उससे जिसने एक किताब को बनाया है।”- बेंजामेन फ्रेंकलिन
- “मैं टीवी को बहुत शिक्षा देने वाला पाता हूँ। हर समय कोई चालू करता है, मैं दूसरे कमरे में जाता हूँ और एक किताब पढ़ता हूँ।”- ग्रूचो मार्क्स
- “एक किताब से ईमानदार मित्र कोई नहीं होता।”- अर्नेष्ट हेमिंग्वे
- “भोजन करना भूल जाईये अगर आपको करना है, लेकिन एक किताब को मत भूलिये।”- जिम रॉन
- “जो किताब आप नहीं पढ़ते वो आपकी मदद नहीं करता।”- जिम रॉन
- “हर किताब बच्चों की किताब है अगर बच्चा पढ़ सके।”- मिच हेडबर्ग
- “मैं आप से कह सकता हूँ, ईमानदार दोस्त, क्या भरोसा करने के लिये है: जीवन में भरोसा; वो किताब या वक्ता इसे बेहतर सिखाता है।”- जोहॉन वोल्फगैंग वॉन गोअथे
- “हमारे लिये एक जमें हुये सागर के लिये किताब एक कुल्हाड़ी है।”- फ्रैंज काफका
- “एक किताब अच्छा साथी है। बिना वाचालता के ये पूरी तरह संवाद से भरा है। पूरे निर्देश के साथ आपकी अभिलाषा के लिये ये आता है, लेकिन आपका कभी अनुसरण कभी नहीं करता।”- हेनरी वार्ड बीचर
- “मैंने ढ़ेर सारी अज्ञात किताबें पढ़ी है और एक किताब को खोलना बहुत अच्छा है।”- बिल गेट्स
- “एक भूखे इंसान के बीच के ये बहुत बड़ी बात है जो किताब पढ़ना चाहता है और एक थका हुआ इंसान जो पढ़ने के लिये एक किताब चाहता है।”- गिलबर्ट के. चेस्टर्टन
- “एक किताब कभी भी एक मास्टरपीस नहीं होती: ये एक बनता है। एक मरे हुये इंसान का कौशल है प्रतिभा।”- कार्ल सैंडबर्ग
- “भूखा इंसान, किताब के लिये पहुँचता है: ये एक हथियार है।”- बेरटोल्ट ब्रेच
- “एक किताब एक उद्यान है, एक बगीचा, एक स्टोरहउस, एक पार्टी, बहरहाल एक साथी है, परामर्शदाता है, परामर्शदाता का झुण्ड है।”- चार्ल्स बौडेलेयर
- “एक किताब को खत्म करना एक अच्छे दोस्त को छोड़ने के सामान है।”- विलियम फीदर
पुस्तक दिवस और किताबों के प्रति नीरसता
बदलते युग में तकनीक की घुसपैठ के कारण किताबों के पठन में भारी गिरावट देखने को मिली है। अधिकतर युवा अब फेसबुक, वॉट्सएप तथा इंटरनेट पर अपना समय गुजारना पसंद करते हैं। किताबें अब केवल ड्राइंग रूम में सजावट का सामान बनकर रह गई हैं। किताबों के प्रति तेज गति से हो रहा मोहभंग चिंताजनक है।
गौरतलब है कि 24 राज्यों के 26 जिलों में ‘असर’ (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) द्वारा किए गए सर्वे में आश्चर्यजनक नतीजे बताते हैं कि इन राज्यों के साठ-साठ गांवों में किए गए सर्वे में यह बात निकलकर आई कि वहां 94 फीसदी लोगों के पास मोबाइल और करीब 74 के पास टेलीविजन हैं। लेकिन किताबें और मैगजीन के मामले में यह आंकड़ा बेहद निराशाजनक है। केवल 10 फीसदी लोगों के घरों में ही किताबें और मैगजीन मिली हैं।
दुनियाभर की 285 यूनिवर्सिटी में ब्रिटेन और इटली की यूनिवर्सिटी ने संयुक्त अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है कि जो छात्र डिजिटल तकनीक का अधिकतम उपयोग करते हैं, वे पढ़ाई के साथ पूरी तरह नहीं जुड़ पाते और फिसड्डी साबित होते हैं। ज्यादा इंटरनेट के इस्तेमाल से उन्हें अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता और उनमें अकेलेपन की भावना घर कर जाती है।
अध्ययन में 25 प्रतिशत छात्रों ने बताया कि उन्होंने दिनभर में 4 घंटे ऑनलाइन बिताए जबकि 70 प्रतिशत ने एक से तीन घंटे तक इंटरनेट का इस्तेमाल किया। इनमें 40 प्रतिशत छात्रों ने सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल किया जबकि 30 प्रतिशत ने सूचना के लिए इसका इस्तेमाल किया।
इंटरनेट की लत से कई तरह की क्षमता प्रभावित होती है। जैसे, उत्तेजना नियंत्रण, भविष्य की योजना और शैक्षिक वातावरण में बेहतर तालमेल नहीं बना पाना आदि। इसलिए इंटरनेट की लत से प्रभावित छात्रों को पढ़ाई में ज्यादा मुश्किल नजर आई जबकि ऐसे छात्र जो इंटरनेट से दूर रहे वे ज्यादा सफल रहे।
निःसंदेह किताबों को लेकर यह हताशा का माहौल हमारे पिछड़ जाने का संकेत है। किताबों से दिनोंदिन बढ़ती दूरी हमें नैतिक पतन, भौतिकवाद एवं आत्ममुग्ध आधुनिकता से ग्रस्त कर रही है। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं साहित्यिक जैसे तमाम क्षेत्रों का ज्ञान हमें किताबों से ही मिलता है।
किताबें सिखाती हैं जीने की कला
किताबें अमर है और जो हमारे व्यक्तित्व का निर्माण कर हमें जीवन जीने की कला सिखाती हैंं। यही नहीं किताबें एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ज्ञान हस्तांतरित करने का सशक्त माध्यम भी हैं। किताबों से बुद्धि का विकास का होता है तथा हम महान लोगों से चिर-परिचित होकर उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा लेते हैं।
दरअसल, किताबें सोच बनाने व बदलने का माद्दा रखती है। किताबें हमें अतीत, वर्तमान और भविष्य तीनों काल की जानकारी देती है। किताबें मनुष्य की सच्ची मित्र हैं जो प्रत्येक परिस्थिति में बखूबी साथ निभाती है। एक अच्छी किताब हमें सफलता के शिखर तक पहुंचा सकती है। अतः आवश्यक है कि हम किताबों के पठन की परंपरा को बरकरार रखें। मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर पर समय व्यतीत करने के बजाय उसका उपयोग किताबों से ज्ञान अर्जित करने में करें।
इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि आज के दौर में किताबों की कीमत में काफी वृद्धि हुई है। अब किताबें रियाहती दरों पर मिलनी मुश्किल है। बढ़ती महंगाई से किताबों का सुनहरा संसार भी अछूता नहीं है। आम आदमी के बजट से बाहर होती किताबों के मूल्य में उछाल किताबों के प्रति उदासीनता की वजह है।
सच्चाई है कि बाजारवाद के कारण किताबों में अश्लीलता ने पांव पसारे हैं। यह साहित्य सामग्री युवाओं को लक्ष्य से विचलित कर रही है। इस तरह की साहित्य सामग्री पर रोक लगनी चाहिए तथा इनका प्रकाशन बंद होना चाहिए। किताबों के चयन और लेखन दोनों पर विचार-विमर्श आज समय की मांग है।
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