3 मई तक बढ़ा लॉकडाउन, जानें यह तारीख देश के लिए क्यों है अहम

देश भर में 3 मई तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है। इस मौके पर आपको 3 मई की अहम बातों को बता रहे हैं।

कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पहले चरण में 21 दिनों का लॉकडाउन 14 अप्रैल तक किया गया था। अब इस लॉकडाउन को बढ़ाकर 3 मई तक किया गया है। आइए इस मौके पर 3 मई की कुछ अहम घटनाओं को जानते हैं जो भारत के लिए काफी अहम है…

पहली मूक फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ रिलीज हुई

3 मई 1913 को मुंबई के मैजिस्टिक टॉकीज पर दादा साहब फालके की पहली मूक फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ रिलीज हुई थी। उस फिल्म को लेकर लोगों में काफी क्रेज था। फिल्म की रिलीज से दो दिन पहले ही इस टॉकीज के बाहर सैकड़ों लोग टिकट काउंटरों के बाहर बोरी-बिस्तर लिए डेरा डालकर जम गए थे। कहते हैं कि रिलीज के पहले तीन हफ्तों तक हर दिन इस टॉकीज के बाहर यही नजारा दिखाई दिया करता था। इस वजह से अंग्रेज सरकार के सामने मुंबई में लॉ ऐंड ऑर्डर को कायम रखने की मुश्किल आ गई थी।


देश के तीसरे राष्ट्रपति की पुण्यतिथि

महान शिक्षाविद डॉ.जाकिर हुसैन का जन्म 8 फरवरी, 1897 को हैदराबाद के एक पठान परिवार में हुआ था। उनके पूर्वज 18वीं सदी में अफगानिस्तान से आकर उत्तर प्रदेश के एक कस्बे कायमगंज में बस गए थे। उनके पिता का नाम फिदा हुसैन था और माता का नाम नाजनीन बेगम। पिता कारोबार के सिलसिले में हैदराबाद रहने लगे। उनके पिता को पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था। उन्होंने हैदराबाद से ही वकालत पढ़ी और काबिल वकील बने। न्होंने अपना सारा जीवन शिक्षा को समर्पित कर दिया था और खुद को शिक्षक कहलाने में गर्व महसूस करते थे। देश की अहम यूनिवर्सिटियों में शामिल जामिया मिल्लिया इस्लामिया की बुनियाद भी उन्होंने ही रखी थी। उनका निधन 3 मई, 1969 को हुआ था।

वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे

संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 3 मई को विश्व प्रेस दिवस या विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया ताकि प्रेस की आजादी के महत्व से दुनिया को आगाह कराया जाए। इसका एक और मकसद दुनिया भर की सरकारों को यह याद दिलाना है कि अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार की रक्षा और सम्मान करना इसका कर्तव्य है। 1991 में अफ्रीका के पत्रकारों ने प्रेस की आजादी के लिए एक पहल की थी। उन्होंने 3 मई को प्रेस की आजादी के सिद्धांतों से संबंधित एक बयान जारी किया था जिसे डिक्लेरेशन ऑफ विंडहोक (Declaration of Windhoek) के नाम से जाना जाता है। उसकी दूसरी जयंती के अवसर पर 1993 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का आयोजन किया। तब से हर साल 3 मई को यह दिन मनाया जाता है।

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