नमस्कार! दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे उत्तर प्रदेश राज्य के (Folk Dance of Uttar Pradesh) प्रमुख लोक नृत्य के बारे में, जोकि परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि परीक्षा में इससे संबंधित प्रश्न अवश्य ही पूछे जाते हैं
उत्तर प्रदेश का लोक नृत्य राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। भगवान राम और भगवान कृष्ण जैसे दिव्य पात्रों की पौराणिक कहानियों पर आधारित नृत्य नाटक पारंपरिक सार को दर्शाते हैं। उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य में रासलीला, रामलीला, ख्याल, नौटंकी, नकाल, स्वांग, दादरा और चरकुला नृत्य शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य की सूची|| Folk Dance of Uttar Pradesh
चरकुला
- एक घड़ा नृत्य है जो ब्रजभूमि का प्रसिद्ध है। यह नृत्य सिर पर रथ का पहिया रखकर उस पर कई घड़ों को रखकर किया जाता है।
- लकड़ी के पिरामिड को 108 तेल के दीपक से रोशन किया जाता है। महिलाएं भगवान कृष्ण के ‘रसिया’ गीतों पर नृत्य करती हैं
- यह उत्तर प्रदेश का एक पारंपरिक लोक नृत्य है, जो राज्य के ब्रज क्षेत्र में व्यापक रूप से किया जाता है।
नौटंकी
- उत्तर प्रदेश का सर्वाधिक प्रचलित लोकनृत्य है, जिसका मूल स्वरूप, वीथि नाटक का है। इसमें हाथरसी तथा कानपुरी नाट्य शैलियों द्वारा संवाद, गायन एवं लोकनृत्य के माध्यम से लोक कथाओं का प्रदर्शन किया जाता है।
- नौटंकी लोकगीतों और लोक गीतों और नृत्यों के साथ मिश्रित पौराणिक नाटकों से युक्त है। कई बार, नौटंकी कलाकार उन परिवारों से हैं, जो पीढ़ियों से इस पेशे में हैं।
धोबिया राग
- यह धोबी जाति का नृत्य है, इसमें एक नर्तक धोबी तथा दूसरा उसका गधा बनता है।
कलाबाजी
- अवध क्षेत्र के इस नृत्य में नर्तक कच्ची घोड़ी पर सवार होकर तथा मोर बाजा (विंड पाइप) लेकर कलाबाजी करते हुए नृत्य करते हैं।
जोगिनी
- साधु वेशधारी स्त्री रूप पुरूष नर्तक तथा साधुवेशधारी पुरूष नर्तकों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है।
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पाई डंडा
- यह बुन्देलखण्ड का प्रसिद्ध नृत्य है, जो अहीरों द्वारा किया जाता है।
राई नृत्य
- यह बुन्देलखण्ड की महिलाओं द्वारा किया जाता है।
धुरिया समाज
- यह बुन्देलखण्ड क्षेत्र की कुम्हार जाति के नर्तक पुरूषों द्वारा स्त्री वेश धारण करके प्रस्तुत किया जाता है।
शैरा नृत्य
- यह बुन्दलेखण्ड क्षेत्र के हमीरपुर, झांसी तथा ललितपुर जिलों में प्रसिद्ध है। यह नृत्य वर्षा ऋतु में युवकयुवतियों द्वारा हाथ में डंडा लेकर किया जाता है।
- पूर्वी उत्तर प्रदेश के अहीरों तथा यादवों में प्रचलित यह नृत्य संगीत एवं नक्कारों की लय पर खेल मुद्राओं में प्रदर्शित किया जाता है।
धीवर राग
- यह धीवर अथवा कहार जाति द्वारा किया जाने वाला गायन नृत्य मांगलिक अवसरों पर किया जाता है।
छोलिया
- राजपूतों में प्रचलित इस नत्य गीत का प्रस्तुतिकरण तलवार और ढाल लेकर किया जाता है।
करमानृत्य
- यह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर और सोनभद्र जिलों में केवल कोल जनजातियों के स्त्री एवं पुरूषों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है
रासलीला
- इस राज्य में की गई रासलीला को ब्रज रासलीला के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र से उत्पन्न हुई थी। यह एक नाट्य रूप है, जो अब कई भारतीय राज्यों में किया जाता है।
- यहां, कहानी भगवान कृष्ण के आकर्षक बचपन, किशोरावस्था और शुरुआती युवाओं के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां यह अपनी पत्नी राधा के साथ भगवान कृष्ण के रिश्ते की पड़ताल करता है।
रामलीला
- रामलीला को उत्तर प्रदेश का एक लोकप्रिय पारंपरिक लोक नृत्य माना जाता है। यह मुख्य रूप से रामायण में भगवान राम के जीवन से संबंधित है, जो भगवान विष्णु के अन्य अवतार भी हैं।
- इस नृत्य में अयोध्या से भगवान राम के वनवास, रावण पर उनकी सफलता और सीता के साथ उनकी बातचीत की कहानी को दर्शाया गया है।
दीपावली नृत्य
- बुंदेलखंडी अहीरों द्वारा दीपावली के अवसर पर प्रज्ज्वलित दीपों को सर पर रखकर किया जाता है।
कार्तिक गीत नृत्य
- प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रचलित है।
ख्याल
- ख्याल उत्तर प्रदेश का एक और लोक नृत्य है, जो कई अन्य भारतीय राज्यों में एक साथ लोकप्रिय है और यह उत्तर प्रदेश में एक प्रमुख लोक नृत्य के रूप में शुरू हुआ। ख़्याल में अलग-अलग शैली हैं, हर एक को शहर, अभिनय शैली, समुदाय या लेखक के नाम से जाना जाता है।
- कुछ लोकप्रिय ख्याति जयपुरी ख्याल, अभिनया ख्याल, गढ़स्प खयाल और अली बख्श ख्याल हैं, जहां सूक्ष्मता इन विविधताओं का सीमांकन करती है। आम तौर पर, ये लोक नृत्य पौराणिक होते हैं,
- जो पुराणों में विभिन्न घटनाओं का उल्लेख करते हैं और इन्हें बहुत रचनात्मक रूप से प्रस्तुत किया जाता है, हालांकि, ये इन घटनाओं के ऐतिहासिक पहलुओं का भी पता लगाते हैं।
- इन प्रदर्शनों को रोमांस, बहादुर कामों, भावनाओं और विश्वासों आदि जैसे तत्वों की उपस्थिति से भी चिह्नित किया जाता है।
नक़ल
- उत्तर प्रदेश का यह लोक नृत्य बहुत लोकप्रिय है और मनोरंजन का एक पसंदीदा तरीका है, क्योंकि यह बहुत ही आनंददायक है, और यह सूक्ष्म और व्यंग्यात्मक रूप से जीवन पर फैली अप्रिय छाया को प्रस्तुत करता है।
- नक़ल के सभी नाटकों में एक कहानीकार का चरित्र है, जहाँ आम तौर पर विषय एक आम आदमी पर आधारित होते हैं। आम आदमी आम तौर पर नाटक के केंद्र में होता है। आमतौर पर मिरासी, नक़ल और भांड समुदाय के लोग विशेष कौशल के साथ इस कला का प्रदर्शन करते हैं।
स्वांग
- यह एक प्रकार का लोक नाटक है जिसे गीतों से समृद्ध किया जाता है। इसे साहित्यिक संपदा के साथ एक समृद्ध प्रदर्शन माना जाता है।
- इस प्रदर्शन की साजिश महान हस्तियों की कहानियों पर आधारित है; पूरन नाथ जोगी, गोपी नाथ और वीर हकीकत राय के स्वांग बहुत लोकप्रिय हैं।
- पुराण नाथ जोगी और गोपी नाथ के स्वांगों में, टुकड़ी के जीवन और काकीकत राय के स्वांग में, कलात्मक कौशल द्वारा धर्म के प्रेम को प्रस्तुत किया जाता है। उत्तर प्रदेश के इस लोक नृत्य की लोकप्रियता कलाकारों की वार्तालाप क्षमता पर है।
दादरा
- दादरा उत्तर प्रदेश का एक अत्यंत लोकप्रिय लोक नृत्य है। मुख्य रूप से यह नृत्य रूप गुप्त और यौन सुख के इर्द-गिर्द घूमता है।
- इस नृत्य में, गायक कलाकारों को प्लेबैक देते हैं, जो मंच पर प्रदर्शन कर रहे हैं; वे गायकों के साथ लिप-सिंक करते हैं।
यही कहा जाता है कि लोकनृत्यों का भी विषयवस्तु लोकगीतों की तरह सांस्कृतिक परम्पराओं पर आधारित होता है। इसकी निरन्तरता संस्कृति संरक्षण को प्रोत्साहित करती है यद्यपि अब आधुनिक सिनेमा एवं अन्य मनोरंजन के साधनों की उपलब्धता ने लोकनृत्यों का महत्व कम किया है
दोस्तों उपरोक्त आर्टिकल में हमने जाना उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य ( Folk Dance of Uttar Pradesh ) के बारे में जो कि उत्तर प्रदेश की पहचान है और परीक्षा में भी इससे संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं आशा है कि आप इनका ध्यान पूर्वक अध्ययन करेंगे परीक्षा में इससे संबंधित प्रश्नों को आसानी से हल कर पाएंगे धन्यवाद!.
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