अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (12 मई) (International Nurse Day in Hindi)
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (अंग्रेज़ी: International Nurses Day) नोबल नर्सिंग सेवा की शुरूआत करने वाली ‘फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल’ के जन्म दिवस पर हर साल दुनिया भर में 12 मई को मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में अमीर और ग़रीब दोनों प्रकार के देशों में नर्सोंं की कमी चल रही है। विकसित देश अपने यहाँ नर्सोंं की कमी को अन्य देशों से नर्सोंं को बुलाकर पूरा कर लेते हैं और उनको वहाँ पर अच्छा वेतन और सुविधाएँ देते हैं, जिनके कारण वे विकसित देशों में जाने में देरी नहीं करती हैं। दूसरी ओर विकासशील देशों में नर्सोंं को अधिक वेतन और सुविधाओं की कमी रहती है और आगे का भविष्य भी अधिक उज्ज्वल नहीं दिखाई देता, जिसके कारण वे विकसित देशों के बुलावे पर नौकरी के लिए चली जाती हैं।
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस कब मनाया जाता है?
दुनिया भर में में हर साल 12 मई को फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल के जन्मदिवस को ‘अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2019में इस दिवस का मुख्य विषय (Theme)”हेल्थ फॉर ऑल” (Health for all)’ है।
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस का इतिहास:
‘नर्स दिवस’ को मनाने का प्रस्ताव पहली बार अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के अधिकारी ‘डोरोथी सदरलैंड’ ने प्रस्तावित किया था। अंतत अमेरिकी राष्ट्रपति डी.डी. आइजनहावर ने इसे मनाने की मान्यता प्रदान की। इस दिवस को पहली बार वर्ष 1953 में मनाया गया। अंतरराष्ट्रीय नर्स परिषद ने इस दिवस को पहली बार वर्ष 1965 में मनाया। नर्सिंग पेशेवर की शुरूआत करने वाली प्रख्यात ‘फ्लोरेंस नाइटइंगेल’ के जन्म दिवस 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाने का निर्णय वर्ष 1974 में लिया गया।
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस का महत्व:
नर्सिंग को विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य पेशे के रूप में माना जाता है। नर्सिस को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्तर जैसे सभी पहलुओं के माध्यम से रोगी की देखभाल करने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित, शिक्षित और अनुभवी होना चाहिए। जब पेशेवर चिकित्सक दूसरे रोगियों को देखने में व्यस्त होते है, तब रोगियों की चौबीस घंटे देखभाल करने के लिए नर्सिस की सुलभता और उपलब्धता होती हैं। नर्सिस से रोगियों के मनोबल को बढ़ाने वाली और उनकी बीमारी को नियंत्रित करने में मित्रवत, सहायक और स्नेहशील होने की उम्मीद की जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस क्यों मनाया जाता है?
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस निम्न वज़ह से मनाया जाता है:-
- स्वास्थ्य सेवाओं में नर्सिस के योगदान को सम्मानित करने के लिए।
- रोगियों के कल्याण के लिए नर्सिस को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए।
- नर्सिस से संबंधित विभिन्न मुद्दों के बारे में चर्चा करने के लिए।
- उनकी मेहनत और समर्पण की सराहना करने के लिए।
अंतरराष्ट्रीय नर्सिंग दिवस के विषय (Theme):
- अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 2019 की थीम-“हेल्थ फॉर ऑल” (Health For All) है।
- अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 2018 की थीम- ‘नर्स ए वॉयस टू लीड – हेल्थ ईज ए ह्यूमन राईट (Nurses A Voice to Lead – Health is a Human Right)’ है।
- अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 2017 की थीम- ‘नर्सिंगः नेतृत्व की एक आवाज-सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना (Nursing: A Voice to lead-Achieving The Sutainable Development Goals)’ है।
राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार:
इस दिन नर्सों के सराहनीय कार्य और साहस के लिए भारत सरकार के परिवार एवं कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार की शुरुआत की। यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष फ्लोरेंस नाइटिंगल के जन्म दिन के अवसर पर फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कारइ प्रदान किये जाते हैं। यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति के द्वारा प्रदान किये जाते हैं इस पुरस्कार में 50 हज़ार रुपए नकद, एक प्रशस्ति पत्र और मेडल दिया जाता है।
रोगी और नर्स के अनुपात में अंतर
दुनिया में अधिकांश देशों में आज भी प्रशिक्षित नर्सों की भारी कमी चल रही है, लेकिन विकासशील देशों में यह कमी और भी अधिक देखने को मिलती है। भारत में विदेशों के लिए नर्सों के पलायन में पहले की अपेक्षा कमी आई है, लेकिन रोगी और नर्स के अनुपात में अभी भी भारी अंतर है।
ट्रेंड नर्सेस एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की महासचिव के अनुसार सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के कारण भारत में प्रशिक्षित नर्सों की संख्या में कुछ सुधार हुआ है। अच्छे वेतन और सुविधाओं के लिए पहले जितनी अधिक संख्या में प्रशिक्षित नर्सें विदेश जाती थीं, आज उनकी संख्या में कमी आई है। रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि होने के कारण रोगी और नर्स के अनुपात में अंतर बढ़ा है, जिस पर सरकार को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
सरकारी अस्पतालों में नर्सों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर वेतन और अन्य सुविधाएँ मिल रही हैं। उनकी हालत में भारी सुधार आया है, जिससे नर्सों का पलायन काफ़ी रुका है, लेकिन कुछ राज्यों और गैर सरकारी क्षेत्रों में आज भी नर्सों की हालत अच्छी नहीं है। उन्हें लंबे समय तक कार्य करना पडता है और उनको वे सुविधाएँ नहीं दी जाती हैं, जिनकी वे हकदार हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों और अस्पतालों में नर्सों की कमी को ध्यान में रखते हुए विवाहित महिलाओं को भी नर्सिंग पाठयक्रम में प्रवेश लेने की अनुमति दी गई है.
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